इस उदाहरण से जानिए ” राम भरोसे ” शब्द मे ही छुपा हे गीता का ज्ञान

साधारण बोल चाल में जब कोई काम अपने आप ही अच्छा हो जाए तो हम लोग कहते है की ये तो राम भरोसे ही हो गया, मतलब अपने आप ही हो गया. ऐसे ही फिल्म मिस्टर नटवर लाल में “ऊँची ऊँची बातो से किसी का पेट भरता नहीं राम का भरोसा जिसे कभी भूखा मरता नहीं” भी कुछ ऐसा ही आम शब्द था.

लेकिन सच तो ये है की मेहनत तो सभी को करनी पड़ती है निवाला तोड़ के पेड़ में डालना भी बढ़ता है जब जाकर पेट की भूख शांत होती है. राम भरोसे का मतलब ये नहीं की आप सिर्फ बैठे रहो जो होना है अपने आप हो जायेगा बल्कि कुछ न कुछ करते रहो, पर वो कुछ क्या है इसमें ही छुपा है राम भरोसे रहने का मर्म.

आज लोग पैसे कमाने को ही कर्म कहते है जो जितना कमाए वो उतनी ही प्रतिष्ठा पाता है लेकिन जिनके पास अपार धन सम्पदा है वो क्या कर रहे है? धन केवल साधन है साध्य नहीं ऐसे में सिर्फ पैसे कमाना ही कर्म या सब कुछ नहीं है आपके जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है वो जाने बिना कुछ भी करना व्यर्थ है.

राम भरोसे का अर्थ है, अपने पास जो साधन है आप उसी में संतुष्ट रहो और वो करो जो की धर्म है. इसमें दो बातें है, पहली के जो है उसी में संतुष्ट रहो का मतलब क्या और धर्म क्या? जो है का अर्थ है की अगर आप भोग विलास की आशा में आपके पास जो है उससे ज्यादा पाने की इच्छा करते है उससे है जिम्मेदारियों के लिए धर्म पूर्वक पैसा कमाने का ही प्रयास करना चाहिए.

बात समझ आ गई होगी की इच्छाए तो कभी मरती नहीं इसलिए सुख सुविधा नहीं जुटाकर जिम्मेदारियों के लिए धन की व्यवस्था के ही केवल प्रयास होने चाहिए. दूसरी बात है धर्म क्या है, तो इसके लिए ही वर्ण व्यवस्था प्रचलित थी

वर्णव्यवस्था का अर्थ कर्म से है, मतलब जन्म से अगर ब्राह्मण है तो मोक्ष के लिए प्रयास करे क्षत्रिय है तो सुरक्षा करे और राज्यभार सम्हाले. अगर वैश्य है तो खेती, कृषि और व्यापार करे और अगर क्षुद्र है तो धर्म पूर्वक नौकरी करे ये सभी अपना काम लेकिन धर्म पूर्वक करे.

जाने इस पथ पर चल सफल हुए मनुष्यो के भी कुछ उदाहरण

द्रौपदी शाश्त्रो में बताये गए पतिव्रत धर्म का पालन करती थी इसलिए श्री कृष्ण ने उसकी आबरू की रक्षा की थी, युधिस्ठर क्षत्रियो के धर्म का पालन करता था इसलिए धर्म ने उसके मान की रक्षा की. सदन कसाई शालिग्राम पत्थर से मांस का वजन करता था फिर भी उसकी गिनती भक्त शिरोमणियों में होती थी.

संत रविदास को भी बचपन में अपने काम से परहेज था (चमड़े के) लेकिन एक ब्राह्मण ने उसे धर्म समझाया की तुम भी चमड़ा ही हो अपने काम में शर्म नहीं करनी. कबीर भी ऐसे कहते थे की आये थे हरी भजन को जोतन लगे कपास लेकिन उन्हें भी गुरु ने ज्ञान दिया की कर्म मत छोडो उसी के साथ धर्म पर बने रहो.

राम भरोसे का मर्म ये ही है की अपने धर्म पर रहो संतोष से रहो इच्छाओ का दमन करो जिम्मेदारियों को पूरा करो बाकी सब भगवान् पे छोड़ दो. जो भाग्य में है वो झक मार के आएगा जो नहीं है उसके पीछे दौड़ने और अधर्म से उसे पाने की चाह में सब बर्बाद हो जायेगा.

धर्म पर चलो और संतोषी बने रहना ही राम भरोसे रहना है

source link —> https://www.therednews.com/5531-know-meaning-of-on-belief-of-god

Share this :