श्री कृष्ण वैकुण्ठ को छोड़कर चलेगए फिर भी यमुना इतनी खुश क्यू हुई जानिए इसका राज ?
यमुना नदी का अस्तित्व अब भी बचा हुआ है हालाँकि सरस्वती का श्राप पूर्ण हो गया और वो धरती से विलुप्त हो गई है. कलियुग के 10000 साल बीत जाने पर सभी की सभी नदिया धरती से गायब हो जाएगी ये शाश्त्रो का लेख है क्योंकि तब कलि का प्रभाव बढ़ जायेगा और पाप धोते धोते नदिया भी मैली हो जाएगी और ऐसा कोई नहीं रहेगा जो उन्हें अपने पुण्यो से शुद्ध कर दे.
सभी नदिया देविया इसलिए कही जाती है क्योंकि ये सभी गोलोक से श्रापित हो धरती पर उत्तरी है और सम्माननीय है! खुद यमुना नदी श्री कृष्ण की अर्धांगिनी रही है और आठ प्रमुझ पटरानियों में शुमार थी, लेकिन आखिर यमुना थी कौन उनका क्या अस्तित्व था कैसे भगवान् कृष्ण की पत्नी बनी वो जाने पूरी जानकारी…
यमुना भगवान् सूर्य और उनकी पत्नी संघ्या की पुत्री है और यमराज की सगी बहिन है, एक श्राप के चलते वो धरती पर नदी रूप में परिणित हो गई थी. कृष्ण के चले जाने के बाद उनकी बाकी बची रानिया दुखी थी लेकिन यमुना तब भी आनंद में थी तब उन्होंने पूछने पर बताया अपनी प्रसन्नता का राज..
धरती पर नदी बन चुकी यमुना उस समय भगवान् हो गई जब बाल कृष्ण को वासुदेव जी अपने सर पर लिए यमुना पार कर रहे थे. तब मौका देख कर यमुना ने अपना जल स्तर बढ़ा लिया, उनकी इच्छा थी अपने आराध्य के चरण स्पर्श की लेकिन ऐसे में वासुदेव जी जलमग्न हो गए.
तब कृष्ण ने अपने पैर बाहर निकालकर यमुना को पाँव छुवाये, तभी से यमुना कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए तप करने लगी. युद्ध समाप्ति के बाद एक दिन वनविहार करते हुए कृष्ण अर्जुन ने उन्हें देखा तो अर्जुन ने उनका परिचय और तपस्या का ध्येय लिया तब कृष्ण ने उन्हें मनचाहा वर दिया और अपने साथ द्वारका ले आये और उन्हें अपनी पटरानी बना लिया.
कृष्ण के वैकुण्ठ गमन पर उनकी कुछ पटरानियां उनके साथ ही सती हो गई तो बाकियो को कृष्ण के कहे अनुसार अर्जुन मथुरा ले आये. तब एक दिन वो सभी यमुना तट पर घूम रही थी तब यमुना से उनकी मुलाकात हुई और यमुना को खुश देश उन्होंने पूछा के बिना कृष्ण के तुम खुश कैसे?
तब यमुना ने कहा की कृष्ण तो वृन्दावन के रग रग में है और में वंहा से विचरती हु तो में कैसे अप्रसन्न होवू, इसके आलावा पुरे वृन्दावन में कृष्ण कथाये होती है जिनसे सुनकर मुझे उनके न रहने का एहसास ही नहीं होता क्योंकि कृष्ण तो खुद एक एहसास है जिसे महसूस कर के ही उनको पाया जा सकता है.
तब यमुना ने उन सब को उद्धव जी से श्रीमद भागवत कथा सुनने को कहा जो की उनके साथ समस्त गोकुल वासियो ने सुनी और कथा समाप्त होते ही तुरंत स्वर्ग से रथ आ गए और उन सबका कल्याण हो गया. हालाँकि यमुना इन्ही रही और आज भी भैया दूज के दिन यमराज अपनी बहिन से मिलने उनके घर आते है.
हर समझदार को इस दिन अपनी बहिन के घर ही भोजन करना चाहिए….जय श्री कृष्णा
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