शिवजी को क्या कहा जाता हे भंडारी जानिए उसकी पौराणिक कथा से

देवो के देव है इसलिए महादेव कहलाते है लेकिन असल में उन्होंने अपने ही शरीर में नारीत्व को भी पा (अर्धनारीश्वर) लिया है इसलिए उन्हें महादेव कहा जाता है. उमा के पति है इसलिए उमाशंकर, जटा धारण करते है इसलिए जटाशंकर, मस्तक पर चंद्र है इसलिए चंद्रशेखर कहलाते है शिव.

ऐसे ही उनक हजारो नहीं बल्कि असंख्य नाम है, हर भक्त अपनी अपनी आस्था के हिसाब से उन्हें श्रद्धा के हिसाब से पुकारता है. त्रिपुर का नाश करने वाले है इसलिए त्रिपुरारी कहलाते है, ऐसे ही गंगाधर, भुजङ्गधर, मुण्डमालाधर, भाघम्बर (शेर की खाल लपेटे हुए) भी उनके ही नाम है.

लेकिन ऐसे बहुत से नाम है जिन नामो से भक्त उन्हें पुकारते तो है लेकिन उसका अर्थ या उसके पीछे की कथा नहीं जानते है, ऐसा ही एक नाम है भंडारी जिसका अर्थ बहुत कम ही लोग जानते होंगे. साधारण शब्दों में अगर कहे की किसी वस्तु के भण्डार के रखवाले को भंडारी कहते है और ये ही इसका अर्थ है तो इस मामले में ये तुक्क सही नहीं है..

जाने शिव को क्यों कहते है भंडारी, आखिर क्या अर्थ है इस नाम का और क्या विचित्र है इसके पीछे की कथा…

वैसे तो शिव अनादि है लेकिन श्रीमद भागवत के अनुसार ब्रह्मा जी के कोप से उनके सगुन रूप 11 रुद्रो का अवतार हुआ था, उन्ही ग्यारह रुद्रो में से एक शिव तो कैलास के निवासी हो गए और सती संग वंही विराजते है और बाकि सभी स्वर्ग में ही विराजित रहते है और देवताओ की सेना के सेनापति स्कन्द का साथ देते है.

ब्रह्मा जी ने उन्हें पृथ्वी की रचना का काम दिया तो उन्होंने बहुत प्रेत पिशाच ये ही सब बनाना शुरू कर दिया तब ब्रह्मा जी ने उन्हें रोका और उन्हें पृथ्वी के संहार का काम सौंपा. तब सप्तऋषियों ने पृथ्वी पर प्रजा की वृद्धि की थी. लेकिन प्रजा बनाने के बाद प्रजा खाये क्या ये एक बहुत बड़ा संकट हो गया था, तब जिव जीवो को ही खाने लगे यंहा तक की मनुष्य भी मांसाहारी हो गए.

तब ब्रह्मा जी को चिंतित देख शिव ने जल में प्रवेश किया और कई दिव्य वर्षो की तपस्या से अन्न को पैदा किया, तब से पृथ्वी पर अन्न पैदा होने लगा और सभी मनुष्य अन्न खाने लगे. बस इसी कारण से ब्रह्मा जी ने उन्हें नया नाम दिया वो था भंडारी, इसलिए शिव को भोला भंडारी कहा जाता है.

सभी जिव भूत कहे जाते है और उनके नाथ है इसलिए भूतनाथ कहलाते है, त्रिपुर विध्वंश के लिए शिव ने शर्त रखी के सभी जिव पशुभाव को प्राप्त हो इसलिए शिव पशुपति कहलाते है. शिव के लिंग रूप में पूजित होने की कथा भी इसी प्रसंग से जुडी है लेकिन हो सकता है इससे किसी की भावनाये आहत हो इसलिए उसका उल्लेख नहीं कर रहे है.

शिव और शक्ति ही निर्गुण है और सगुन रूप में वो लिंग और शिव शंकर रूप में प्रकट हुए है, हरी और हर एक ही है दोनों एक दूसरे के पूरक है.

Source link —> https://www.therednews.com/3261-why-shiva-called-bhandari

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