जानिए भगवान के कोनसे 9 अवतारो ने अपना कार्य पूरा करके पृथ्वी छोड़ी थी ?

“जब जब धर्म की हानि होती है तो माँ पुनः धर्म की स्थपना के लिए जन्म लेता हूँ!” ऐसा भगवान् का वचन है और इसके लिए हमारे ज्ञात अवतारों में से प्रमुख 10 का वर्णन शास्त्रों में किया गया है, इसमें से 9 अवतार तो हो चुके है और आखिरी कल्कि कलियुग के अंत में होगा.

धर्म की स्थपना के बाद ये अवतार वापस अपने धाम को चले जाते है लेकिन कैसे ये आपको आश्चर्य तो जरूर होगा क्योंकि उनका जन्म भले ही प्रकृत मनुष्य के जैसे हो लेकिन उनकी अंतिम यात्रा दिव्य होती है. आप ने श्री कृष्ण और राम जी के विषय में तो शायद पढ़ लिया होगा लेकिन बाकी 9 का क्या?

आज जाने भगवान् विष्णु के इन सभी अवतारों की अंतिम यात्रा के विषय में पूरी जानकारी???

मतस्य, कुर्मा, वराह और नरसिंघ चारो ही भगवान् के अवतार अयोनिज है अर्थात वो प्रकट हुए थे उन्होंने माँ की कोख से जन्म नहीं लिया था. मत्स्य ने शंखासुर को मार मनु को प्रलय से बचाया, कुर्मा ने सागर मंथन में पर्वत को अपनी पीठ पर झेला और वराह अवतार ने हिरण्यकश्यपु को मार धरती को समुद्र तल से निकला और वेदो को पुनः ब्रह्मा को सौंपा.

अपना काम पूरा कर ये अवतार फिर से अंतर्ध्यान हो गए थे, लेकिन नरसिंघ के विषय में कहा जाता है की वो तिरुपति अवतार होने तक वंही थे और उसके बाद विष्णु के इस सगुन रूप को अपना सत्ता सौंप उन्ही में लीन हो गए. हालाँकि शरद उपनिषद में भगवान् शिव के शारदावतार से उनके परास्त होने के बाद पृथ्वी छोड़ने की बात कही गई है.

अत्रि और अनुसूया के पुत्र भगवान् वामन बलि को शक्तिहीन कर और इंद्र को पुनः त्रिलोकी सौंप कर स्वर्ग लोक में प्रतिष्ठित हुए, 12 आदित्यो (अदिति पुत्रो) में से एक विष्णु वही है. वंही परशुराम जी को राम जी ने शक्तिहीन कर दिया था और तब वो ओडिशा स्तिथि महेन्दर पर्वत पर तपस्थ हो गए और आज भी अदृश्य रूप में है.

राम जी ने सशरीर जल समाधि ली और शरीर के साथ साकेत धाम में आज भी वो सीता सहित रहते है, वंही श्री कृष्ण ने बाली की उत्कंठा हरने के लिए बाली रूपी भील के बाण से पेअर बिंधवाया और अनंत वो अपने गोलोक धाम सशरीर चले गए. आज भी राधा गोपियों और गोप समेत वो वंहा प्रतिष्ठित है जो की आदि काल से है.

भले ही बौद्धि (बौद्ध धर्मावलम्बी) और दलित ये माने न माने लेकिन भगवान् बुद्ध ही विष्णु ने नौवे अवतार है, कलियुग में वो जन्मे और शांडि का सन्देश दिया था. सिद्धार्थ गौतम से वो कैसे बुद्ध बने ये तो आपको मालूम ही होगा आज भी बिहार के गया तीर्थ में वो वृक्ष मौजूद है जंहा उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ.

लेकिन उनकी मृत्यु के पक्ष में काफी संशय है, लेकिन उनके धरती से जाने को महापरिनिर्वाण के रूप में आज भी मनाया जाता है. मतलब उन्होंने स्वेच्छा से समाधि ली और विष्णु लोक को चले गए लेकिन उनके शरीर के विषय में ज्यादा लिखा नहीं है कंही भी.

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